Thursday, August 11, 2011

संभुराजा


राजन तुम खुब लढे
दियो धर्म का संदेस
लायो औरंग छोड गद्दी
मरहट्टोंके तुम देस


त्याग दियो...राज पाठ
त्याग दिये ...राज वस्त्र
मान..के खातीर के आप
हात धर लीयो शस्त्र


लांछन लगे जो आप..
पुत्र धर्म् निभायो
शेर के पुत्र तुम
पातशाही दहलायो


सहन कियो...वेदना
संवेदना..दिखलायो
राजन..तुम पातशाहको
पातशाही सिखालायो


ओंकार

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