संभुराजा
राजन तुम खुब लढे
दियो धर्म का संदेस
लायो औरंग छोड गद्दी
मरहट्टोंके तुम देस
त्याग दियो...राज पाठ
त्याग दिये ...राज वस्त्र
मान..के खातीर के आप
हात धर लीयो शस्त्र
लांछन लगे जो आप..
पुत्र धर्म् निभायो
शेर के पुत्र तुम
पातशाही दहलायो
सहन कियो...वेदना
संवेदना..दिखलायो
राजन..तुम पातशाहको
पातशाही सिखालायो
ओंकार
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