Wednesday, July 28, 2010

थोडसा आवारापन... बस युही....

बशर्ते इम्तेहान लेले खुदा
आज मेरे मोहोब्बतका
आज वो जरुर हार जाएगा

इसलिये फिर कभी तुम
ये न पुछना ए गालीब
के हमें उनसें इतनी मोहोब्बत क्युं है
बारीश तो आज रुकी हुई है
पर फिरभी आंखे तुम्हारी युं क्युं नम है?

आंखोमे छुपाकर रख्खी है
मेंने तस्वीर उस बेवफा की
जो बेवफाई करके भी
पुछा करते है हमसे
आखीर क्युं भर आती है
आखें तुम्हारी
युं आपको कौनसा गम है?

ओंकार

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