Monday, January 9, 2012

शम्मा

इश्क विश्क प्यार व्यार..
है ये सब सब बेकार की बातें..
उन बेवफाकें यादोंमे बितती है..
इन दिलजलें आशिकोंकी राते
खुदको न इसतरहा जला लेना..
की शम्माभी शायद शरमा जाए..
बरबाद हो चुके न जाने कितने जुगनु..
रुह हर एक की हिसाब न मांगने आए
अंजान राहोंपर न यु भटकना..

न जाने कौनसी मोड क्या दिखा जाये..
भागते रहते हो दुर शम्मासे तुम बेवफा..
राह तुम्हारी कही उनसे न उलझ जाए

ओंकार

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